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जीवनी

महात्मा गांधी की जीवनी: Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay

महात्मा गांधी का जीवन परिचय

Information About Mahatma Gandhi in Hindi: श्री मोहनदास करमचंद गांधी जी (महात्मा गांधी) – (02 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948) – महात्मा गांधी का जीवन परिचय आपको नीचे पढ़ने को मिलेगा।⇓

महात्मा गांधी जी को राष्ट्रीय पिता, बापू जी, महात्मा गांधी भी कहा जाता है। पूरे भारत वर्ष में महात्मा गांधी जी को सुपर फाइटर के नाम से भी जाना जाता है। जिन्होंने कई आंदोलन किये और जीते भी। इन्हे कौन नहीं जानता? पूरे भारत वर्ष में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो इन्हे नहीं जानता होगा। आज के इस लेख में हम बात केवल महात्मा गांधी की जीवनी की ही नहीं उनसे जुड़ी घटनाओं की भी बात करेंगे।

जन्म तिथि 02 अक्टूबर 1869 , पोरबंदर (गुजरात) (समुन्द्रिय तट)
मृत्यु 30 जनवरी 1948, रात के समय बिड़ला भवन (नई दिल्ली) में हत्या की गयी थी (नाथूराम गोडसे द्वारा)
राष्ट्रीयता भारतीय (भारत में जन्म हुआ)
प्रसिद्ध नाम महात्मा गांधी जी, बापू जी, गाँधी जी
गांधीजी की जाती (CAST) गुजराती
शिक्षा प्राप्त की अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट, इनर यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन
पिता का नाम करमचंद गांधी, कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात मे पोरबंदर रियासत के प्रधानमंत्री थे।
माता का नाम पुतलीबाई
पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी

मैं आपको कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहा हूँ जिन्हें आपको जानने में बहुत आनंद आयेगा।


महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध

महात्मा गांधी जी भारत के मात्र एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे सम्पूर्ण भारत “बापू जी” के नाम से बुलाता है। बापू जी ने हमेशा एक सदाचार जीवन व्यतीत किया था। महात्मा गांधी जी एक साधारण परिवार में जन्मे थे और उन्होने अपना जीवन अपनी जनता के लिए बिताया। साधारण जीवन जीना बेहद ही मुश्किल होता है और ऐसे साधारण जीवन में बड़े बड़े काम कर देना भी कोई आसान काम नहीं है।

अगर मैं बात करू की गांधी जी ने ऐसा किया क्या जिसकी वजह से भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या उन्हे “बापू जी” के नाम से बुलाते है। तो इसे जानने के लिए सम्पूर्ण लेख पढ़ना होगा। बेहद ही आसान शब्दों में महात्मा गांधी का जीवन परिचय लिखा गया है कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें।

About Gandhiji in Hindi (Short Bio)

महात्मा गांधी जी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर जिला में 02 अक्तूबर 1869 को एक साधारण से परिवार में उनका जन्म हुआ था। गांधी जी के पिता करमचंद गांधी, कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में पोरबंदर रियासत के प्रधानमंत्री थे। गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, अत: उनका पालन पोषण वैष्णव माता को मानने वाले परिवार में हुआ और उन पर जैन धर्म का भी अधिक गहरा प्रभाव रहा। जिसकी वजह से इसके मुख्य सिद्धांतों जैसे- अहिंसा, आत्म शुद्धि और शाकाहार को उन्होंने अपने जीवन में उतारा था और गांधी जी भी इस नियम को मानते थे।

गांधी जी की शिक्षा अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन से पूरी हुई। पढ़ाई के बाद वो अपने देश भारत वापस लौट आए। गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की आयु में ही कर दिया गया। विद्यालय में पढ़ने वाले गांधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया था। अब हम Mahatma Gandhi Ke Bare Mein (महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी) विस्तार से जानते हैं।

Topic we cover:

  1. Mahatma Gandhi Information in Hindi
  2. Mahatma Gandhi Biography in Hindi
  3. Mahatma Gandhi Essay in Hindi
  4. Mahatma Gandhi Speech in Hindi
  5. Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी निबंध

गांधी जी का जन्म पश्चिमी भारत में गुजरात के एक तटीय पोरबंदर नामक स्थान पर 02 अक्टूबर 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी जी कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में काठियावाड़ की छोटी रियासत पोरबंदर के प्रधानमंत्री थे। बाद में वो उनके पिता जी सनातन धर्म की पंसारी जाती से सम्बन्ध रखते थे। वैसे गुजराती भाषा में गांधी का मतलब पंसारी से होता है। इसका मतलब इत्र (perfume) बेचने वाला भी होता है।

महात्मा गांधी की माता का नाम पुतलीबाई था और वो परनामी वैश्य समुदाय की थी। महात्मा गांधी जी के पिता की पहले तीन पत्नियां थी और प्रसव पीड़ा के कारण उनकी मृत्यु हुई थी जिस कारण करमचंद गांधी जी का चौथा विवाह करना पड़ा था। उनकी माता पहले से ही भगवान की पूजा पाठ में व्यस्त रहती थी तो उनका ये सकारात्मक प्रभाव गांधी जी पर भी पड़ा। जिसकी वजह से गांधी जी हमेशा कमजोरों में ताकत व ऊर्जा की भावना जगाते रहते थे, शाकाहारी खाना, आत्मा की शुद्धि के लिए व्रत भी किया करते थे।

महात्मा गांधी की शिक्षा: Mahatma Gandhi Education in Hindi

बम्बई यूनिवर्सिटी से मेट्रिक 1887 ई में पास किया और उसके आगे की शिक्षा भावनगर के शामलदास स्कूल से ग्रहण की। दोनों ही परीक्षाओं में वह शैक्षणिक स्तर वह एक औसत छात्र रहे। उनका परिवार उन्हें बैरिस्टरी बनाना चाहता था। 4 सितम्बर 1888 ई, को गांधी जी बैरिस्टरी की शिक्षा के लिए लंदन गए जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन (University College London) में दाखिला (ADMISSION) लिया।

गांधी जी शुरू से ही शाकाहारी थे और उन्होंने लंदन में भी इस नियम को बनाए रखा। जिस रवैये ने गांधी जी के व्यक्तित्व को लंदन में एक अलग छवि प्रदान की। गांधी जी ने शाकाहारी मित्रों की खोज की और थियोसोफिकल नामक सोसाइटी के कुछ मुख्य सदस्यों से मिले। इस सोसाइटी की स्थापना विश्व बंधुत्व (संपूर्ण एकता) के लिए 1875 ई में हुई थी और तो और इसमें बोध धर्म सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन भी था।


About Mahatma Gandhi in Hindi | (वकालत का आरम्भ)

  • 👉 इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन द्वारा बुलाये जाने पर गांधी जी वापस मुंबई लौट आये और यहां अपनी वकालत शुरू की।
  • 👉 मुंबई (बम्बई) में गांधी जी को सफलता नहीं मिली जिसके कारण गांधी जी को अंशकालिक शिक्षक के पद पर काम करने के लिए अर्जी दाखिल की किन्तु वो भी अस्वीकार हो गयी।
  • 👉 जीविका के लिए गांधी जी को मुकदमों की अर्जियां लिखने का कार्य आरम्भ करना पड़ा। परन्तु कुछ कारणवश उनको यह काम भी छोड़ना पड़ा।
  • 👉 1893 ई में गांधी जी एक वर्ष के करार के साथ दक्षिण अफ्रीका गए।
  • 👉 दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की फर्म नेटल से यह वकालत करार हुआ था।

Mahatma Gandhi Biography in Hindi Short

महात्मा गांधी जी का विवाह

Mahatma Gandhi Family

महात्मा गांधी जी का विवाह कब और किसके साथ हुआ?

सन् 1883 में उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ। उस समय गांधी जी की उम्र केवल साढ़े तेरह वर्ष थी (13.5 years) और कस्तूरबा मखंजी जी 14 वर्ष की थी। गांधी जी, “कस्तूरबा” जी को “बा” कह कर बुलाते थे। यह बाल विवाह उनके माता पिता द्वारा तय करा गया था| गाँधी जी और कस्तूरबा जी की उम्र कम थी और उस समय बाल किशोरी दुल्हन को अपने माता पिता के घर रहने का नियम था। कुछ 2 साल बाद सन् 1885 में गांधी जी 15 साल के हो गये थे और तभी उन्हें पहली संतान ने जन्म लिया था, लेकिन कुछ ही समय पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी और उसी वर्ष गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी की मृत्यु हो गयी।


महात्मा गांधी के बेटे का नाम क्या था

  1. हरिलाल गांधी (1888 ई)
  2. मणिलाल गांधी (1892 ई)
  3. रामदास गांधी (1897 ई)
  4. देवदास गांधी (1900 ई)

विदेश में वकालत व शिक्षा: महात्मा गांधी का जीवन परिचय

4 सितम्बर 1888 ई को गांधी जी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून (law) की शिक्षा ग्रहण करने व बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गये। भारत छोड़ते वक्त जैन भिक्षु बेचारजी की दी गयी।

सिख व अपनी माता को दिए गये वचन की “मास मदिरा” का सेवन न करने को लंदन में काफी सक्षम रखा।

हांलाकि, महात्मा गांधी जी ने लंदन में रह कर वहां की सभी रीति रिवाजों को अपनाया व अनुभव किया। उदाहरण के लिए गांधी जी वहां पर नृत्य कक्षाओं में भी जाया करते थे। मगर फिर भी उन्होंने कभी भी अपनी मकान मालकिन द्वारा बनाये मास एवं पत्ता गोभी को नहीं खाते थे। वे शाकाहारी भोजन खाने के लिए शाकाहारी भोजनालय जाते थे। उनकी माता से उन्हें काफी लगाव था वो अपनी माता की कही बातों पर बहुत अमल करते थे। इसी वजह से उन्होंने बौद्धिकता से शाकाहारी भोजन को ही अपनाया।

उन्होंने शाकाहारी समाज की सदस्यता अपनाई और इस कार्यकारी समिति के लिए उनका चयन भी हो गया। जहाँ उन्होंने एक स्थानीय अध्याय की नीव भी रखी। बाद में उन्होंने संस्थाए भी गठित की तभी उनकी मुलाकात कुछ शकाहारी लोगों से हुई जो थिओसोफिकल सोसाइटी के सदस्य थे। इस सोसाइटी की स्थापना 1875ई विश्व बंधुत्व को प्रबल करने के लिए बनाई गयी थी और बौध धर्म एवं सनातन धर्म के साहित्य के अध्यन के लिए समर्पित किया गया था।

उन लोगों के विशेष रूप से कहे जाने पर गांधी जी ने श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ा और जाना। लेकिन गांधी जी हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई में और अन्य प्रकार की जाती में विशेष रूचि नहीं रखते थे। इंग्लैंड और वेल्स एसोसिएशन में वापस बुलावे पर वे भारत लौट आये किन्तु बम्बई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद अंशकालिक नौकरी वो भी एक स्कूल में प्रार्थना पत्र भेजा वो भी आस्विकर हो गया जिसके कारण उन्हें जरूरतमंदों के लिए राजकोट को अपने मुकाम बना लिया। मगर एक अंग्रेज अधिकारी की बेवकूफी के कारण उन्हें यह पद भी छोड़ना पड़ा।

अपनी आत्मकथा में उन्होंने इस घटना का वर्णन अपने बड़े भाई की और से परोपकार की असफल कोशिश के रूप में किया है। इसी कारणवश उन्होंने 1893ई में एक भारतीय फर्म से नेटाल दक्षिण अफ्रीका में, जो उन दिनों ब्रिटिश का भाग होता था, एक वर्ष के करार पर वकालत का कारोवार स्वीकार किया।


महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन

Mahatma Gandhi History in Hindi

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महात्मा गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा

  • महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका कब गए थे
  • दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के आश्रम का नाम
  • दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को क्या कहते हैं
  • दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास PDF

दक्षिण अफ्रिका में गांधीजी को भारतीयों पर हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा।

प्रथम श्रेणी कोच की वैध (VALID) टिकट होने के बाद भी उन्हें तीसरी श्रेणी (3rd category) के डिब्बे में भी जाने से मना कर दिया था और तो और पायदान पर बची हुई यात्रा पर एक यूरोपियन यात्री के अन्दर आने पर चालक द्वारा मार भी खानी पड़ी। उन्होंने अपनी इस यात्रा में कई तरह की बेइज्जती सही और और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, अफ्रीका के कई होटलों को उनके लिए बंद कर दिया गया।

इन घटनाओं में एक घटना ये भी थी जिसमें एक न्यायधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने के लिए भी कहा। दक्षिण में हो रहे अन्याय को गांधी जी दिल और दिमाग पर ले गये जिस कारण आगे गांधी जी ने अपना जीवन भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ कदम उठाये।


भारत का स्वतंत्रता संघर्ष : महत्वपूर्ण तथ्य

सन् 1916 ई में गांधी जी अपने भारत के लिए वापस भारत आये और अपनी कोशिशों में लग गए।

कांग्रेस के लीडर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो गयी थी। मगर पहले हम बात करेंगे चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के बारें में।


चंपारण और खेड़ा आंदोलन | महात्मा गांधी का जीवन परिचय

1918 ई गांधी जी की पहली उपलब्धि चंपारण (CHAMPARAN) और खेडा सत्याग्रह आन्दोलन में मिली। नील की खेती जैसी खेती जिसे करने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा था। अपने खाने पीने तक का कोई खेती नहीं हो पा रही थी बस कुछ घर पर आता और बाकि पैसा कर्ज में काट लिया जाता था। कम पैसे कमाना और ज्यादा कर भरना किसानों पर जुल्म था जो की गांधी जी देखा नहीं गया।

गाँव में गंदगी, अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां भी फैलाने लगी थी। खेड़ा (KHEDA), गुजरात (GUJARAT) में भी यही समस्या थी। गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया, वहां पर गांधी जी के सभी साथी और अपनी इच्छा से कई लोग आकर समर्थक के रूप में कार्य करने लगे। सबसे पहले तो गांधी जी ने वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों में विश्वास उत्पन्न हुआ।

उस समय हुए शोर शराबे के कारण गांधी जी को पुलिस ने शोर शराबे से हुई परेशानी के कारण थाने में बंद कर दिया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया, बिना किसी कानूनी कारवाही के थाने से छुड़ाने को लेकर गांव वालों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया। गांधी जी ने अदालत में जमीदारों के खिलाफ टिप्पणी और हड़ताल का नेतृत्व भी किया और गांव के लोगों पर हुए कर वसूली व खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करने जैसे कई मुद्दों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए।


Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay

महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

खिलाफत आंदोलन कब हुआ | महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

अब गांधी जी को ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं हिन्दू व मुस्लिम समाज में एकता की कमी की वजह से कमजोर पड़ रही हैं जो की कांग्रेस की नैया डूब भी सकती है तो गांधी जी ने दोनों समाजों हिन्दू व मुस्लिम समाज की एकता की ताकत के बल पर ब्रिटिश की सरकार को बाहर भगाने के प्रयास में जुट गए। इस उम्मीद में वे मुस्लिम समाज के पास गए और इस आन्दोलन को विश्वस्तरीय रूप में चलाया गया जो की मुस्लिम के कालिफ [CALIPH] के खिलाफ चलाया गया था।

गांधी जी सम्पूर्ण राष्ट्रीय के मुस्लिमों की कांफ्रेंस [ALL INDIA MUSLIM CONFERENCE] रखी थी और वो खुद इस कॉन्फ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी बने। गांधी जी की इस कोशिश ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया और कांग्रेस में उनकी एक खास जगह बन गयी। कुछ समय बाद ही गांधी जी की बनाई एकता की दीवार पर दरार पड़ने लग गई जिस कारण सन् 1922 ई में खिलाफत आन्दोलन पूरी तरह से बंद हो गया | गांधी जी सम्पूर्ण जीवन ‘हिन्दू मुस्लिम की एकता के लिए’, कार्य करते रहे मगर गांधी जी असफल रहे।


असहयोग आन्दोलन सन् 1920 ई | NON COOPERATION MOVEMENT IN HINDI

गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। पंजाब में जब जलियांवाला नरसंहार जिसे सब अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता हैं। उस घटना ने लोगों के बीच काफी क्रोध और हिंसा की आग लगा दी थी।

दरअसल बात ये थी कि अंग्रेजी सरकार ने सन् 1919 ई रॉयल एक्ट लागू किया। उसी दौरान गांधी जी कुछ सभाएं भी आयोजित करते थे। एक दिन गांधी जी ने शांति पूर्ण एक सभा पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक आयोजित की थी और उस शांतिपूर्ण सभा को अंग्रेजों ने बहुत ही बुरी तरह रौंदा था जिसका वर्णन करते भी आंखों से आंसू आता है।

सन् 1920 ई में असहयोग आन्दोलन आरंभ किया गया इस आन्दोलन का अर्थ था की किसी भी प्रकार से अंग्रेजों की सहायता न करना और किसी भी प्रकार की हिंसा का प्रयोग न की जाये। इस आन्दोलन को गांधी जी का प्रमुख आन्दोलन भी कहा जाता है। असहयोग आन्दोलन सितम्बर 1920ई – फरवरी 1922 तक चला। गांधी जी को पता था कि ब्रिटिश सरकार भारत में राज करना चाहती है और वो भारत के सपोर्ट के बिना असंभव है। गांधी जी को ये भी पता था कि ब्रिटिश सरकार को कहीं न कहीं भारत के लोगों की सहायता ही पड़ती हैं यदि इस सहायता को बंद करा दिया जाये तो ब्रिटिश सरकार अपने आप ही वापस चली जायेगी या फिर भारतीयों पर जुल्म नहीं करेगी।

गांधी जी ने ऐसा ही किया उन्होंने सभी भारतीयों को बुलाया और अपनी बात को स्पष्ट रूप से समझाया और सभी भारतीयों को गांधी जी की बात पर विश्वास भी हुआ और उन्होंने गांधी जी की कही हुई बातों को गांठ बांध ली, सभी लोग बड़ी मात्रा में शामिल हुए और इस आन्दोलन में अपना योगदान दिया।

सभी भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की सहायता करने से मना कर दिया, उन्होंने अपनी नौकरी त्याग दी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल और कॉलेजों से निकाल लिया, सरकारी नौकरियां, फैक्ट्री, कार्यालय भी छोड़ दिया। लोगों के उस फैसले से कुछ लोग गरीबी व अनपड की मार से झुलसने लगे थे, स्थिति तो ऐसी उत्पन्न हो गयी थी की भारत तभी आजाद हो जाता परन्तु एक घटना जिसे हम चौरा-चौरी के नाम से जानते हैं। जिसकी वजह से गांधी जी को अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा और आन्दोलन को वहीं समाप्त करना पड़ा।


चोरा चोरी की घटना कब हुई थी? चौरी चौरा की घटना का क्या महत्व था?

उत्तर प्रदेश के चौरा चौरी नामक स्थान पर जब भारतीय शांतिपूर्ण रूप से रैलियां निकाल रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर गोलियां चला दी और कई भारतीयों की मृत्यु भी हो गयी, जिसके कारण भारतीयों ने गुस्से में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और 22 पुलिस सैनिकों को मार दिया।

गांधी जी का कहना था की हमें सम्पूर्ण आन्दोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक प्रकिया का प्रयोग नहीं करना था और हम अभी किसी भी प्रकार से आज़ादी के लायक नहीं हैं जिस के कारण गांधी जी ने अपने आन्दोलन को वापस ले लिया था।


सविनय अवज्ञा आन्दोलन/ डंडी यात्रा / नमक आन्दोलन सन् 1930 – CIVIL DISOBEDIENCE MOVEMENT / DANDI MARCH / SALT MOVEMENT

सविनय अवज्ञा का अर्थ होता है किसी भी बात को ना मानना और उस बात की अवहेलना करना। सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी गांधी  जी ने लागू किया था| ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ये आन्दोलन था।

इस आन्दोलन में मुख्य कार्य यही था की ब्रिटिश सरकार जो भी नियम लागू करेगी उसे नहीं मानना और उसके खिलाफ जाना जैसे: ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई नहीं अन्य व्यक्ति या फिर कोई कंपनी नमक नहीं बनाएगी। तब 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्वारा नमक बनाकर इस कानून को तोड़ दिया था। वे दांडी नामक स्थान पर पहुंच कर नमक बनाया था और कानून का उल्लंघन किया था।

गांधी जी ने साबरमती आश्रम जो की गुजरात के अहमदाबाद नामक शहर के पास ही है 12 मार्च, सन् 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक ये यात्रा चलती रही। 31 जनवरी 1929 को भारत का झंडा लाहौर में फहराया गया था। इस दिन को भारतीय नेशनल कांग्रेस ने आजादी का दिन समझ कर मनाया था। यह दिन लगभग सभी भारतीय संगठनों द्वारा भी माना गया था। इसके बाद ही नमक आन्दोलन हुआ था। 400 किलोमीटर (248 मील) तक का सफ़र अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया था।

गांधी जी सुभाष चन्द्र बोस और पंडित जवाहरलाल नेहरू के आजादी की मांग के विचारों को भी सिद्ध किया और अपने विचारों को 2 सालों की वजह 1 साल के लिए रोक दिया। इस आन्दोलन की वजह से 80000 लोगों को जेल जाना पड़ा। लार्ड एडवर्ड इरविन ने गांधी जी के साथ विचार विमर्श किया। इस इरविन गांधी जी की संधि 1931 में हुई। सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी रजामंदी दे दी थी।

गांधी जी को भारत के राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह सम्मेलन निराशाजनक रहा। इस आयोजन का कारण भारतीय कीमतों व अल्पसंख्यकों पर केंद्रित होना था। लार्ड विलिंगटन ने भारतीय राष्ट्रवादियों को नियंत्रित और कुचलने के लिए नया अभियान आरम्भ किया और गांधी जी को फिर से गिरफ्तार भी कर लिया गया था और उनके अनुयायियों को उनसे मिलने तक भी नहीं जाने दिया। मगर ये युक्ति भी बेकार गयी।


Mahatma Gandhi History in Hindi | हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस क्या है?

1932, डा० बाबा साहेब आंबेडकर जी के चुनाव प्रचार के माध्यम से, सरकार ने अछूत लोगों को एक नए संविधान में अलग निर्वाचन दे दिया। इसके विरुद्ध गांधी जी ने 1932 में 6 दिन का अनशन ले लिया था जिसने सफलतापूर्वक दलित से राजनैतिक नेता पलवंकर बालू द्वारा की गयी। मध्यस्थता वाली एक सामान्य व्यवस्था को अपनाया गांधी जी ने अछूत लोगों को हरिजन का नाम दिया।

डॉ० बाबासाहेब आंबेडकर ने गांधी जी की हरिजान वाली बात की निंदा की और कहा की दलित अपरिपक्व है और सुविधासंपन्न जाती वाले भारतीयों ने पितृसत्तात्मक भूमिका निभाई है।

अम्बेडकर और उनके सहयोगी दलों को महसूस हुआ की गांधी जी दलितों के अधिकार को समझ नहीं पा रहे हैं या फिर दलित अधिकार को कम आंक रहे हैं। गांधी जी ने ये भी बाते आंकी की वो दलितों के लिए आवाज उठा रहे हैं। पुन संधि में ये साबित हो गया की गांधी जी नहीं अम्बेडकर ही हैं दलितों के असली नेता। उस समय छुआछूत सबसे बड़ी समस्या थी। हरिजन लोगों को मंदिरों में जाने भी नहीं दिया जाता था। केरल राज्य का जनपद त्रिशूर दक्षिण भारत की एक प्रमुख नगरी है, जनपद में एक प्रतिष्ठित मंदिर भी हैं। गुरुवायुर मंदिर जिसमें कृष्ण भगवान बल रूप के दर्शन कराती मूर्तियां है परंतु वहां पे भी हरिजन लोगों को जाने नहीं दिया जाता था।


भारत छोड़ो आन्दोलन कब शुरू हुआ | QUIT INDIA MOVEMENT IN HINDI

अभी तक के आंदोलनों में ये सबसे ज्यादा प्रभावी आन्दोलन था। सन् 1940 के दशक तक सभी लोग बड़े हो या फिर बच्चा सभी अपने देश की आजादी के लिए लड़ने मरने को तैयार थे। उनमें बहुत गुस्सा भरा था और ये गुस्सा सन् 1942ई में बहुत ही प्रभावशाली रहा, परंतु इस आंदोलन को संचालन करने में हुई कुछ गलतियों के कारण ये आन्दोलन भी असफल रहा। प्रमुख बात ये थी कुछ लोग अपने काम और विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में लगे रहे उस समय उन्हें लगा की अब तो भारत आजाद हो ही जायेगा तो उन्होंने अपने कदम धीरे कर लिए मगर यही बहुत बड़ी गलती थी। इस प्रयास से ब्रिटिश सरकार को ये तो पता चल ही गया था की अब भारत पर उनका राज नहीं चल सकता और भारत फिर आजाद होने के लिए फिर प्रयास करेगा।


महात्मा गांधी जी की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई थी?

महात्मा गांधी जी की हत्या कब और कैसे हुई थी

Mahatma Gandhi Death Information in Hindi

30 जनवरी 1948 को गांधी जी अपने बिड़ला भवन में चहलकदमी (walking) कर रहे थे और उनको गोली मार दी गयी थी।

गांधी जी के हत्यारे का नाम नाथूराम गोडसे था। ये राष्ट्रवादी थे जिनके कट्टर पंथी हिन्दू महासभा के साथ सम्बन्ध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी करार दिया। गौडसे और उनके सह् षड्यंत्रकारी नारायण आप्टे को केस चला कर जेल भेज कर सजा दी गयी थी। नाथूराम गोडसे को 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गयी थी।

राजघाट जो की NEW DELHI में है, यहां पर गांधी जी के स्मारक पर देवनागरी भाषा में हे राम लिखा हुआ है कहा जाता है की गांधी जी को जब गोली लगी थी तब उनके मुख से ‘हे राम’ निकला था। ऐसा जवाहर लाल नेहरू जी ने रेडियो के माध्यम से देश को बताया था।

गांधी जी की अस्थियों को रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद में पूरे देश में घुमाया गया। महात्मा गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद में संगम नदी में 12 फरवरी 1948 ई को जल में प्रवाह कर दिया था। शेष अस्थियों को 1997 में तुषार गांधी जी ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि – कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से इलाहबाद के संगम नामक नदी में प्रवाह कर दिया था। 30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गांधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया।

एक अन्य अस्थि कलश आगा खान जो पुणे में है (जहाँ उन्होंने 1942 से कैद किया गया था 1944 तक) वहां समाप्त हो गया था और दूसरा आत्मबोध फेल्लोशीप झील में मंदिर में लॉस एंजिल्स रखा हुआ है। इस परिवार को पता था कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस पवित्र रख का दुरूपयोग भी हो सकता था लेकिन उन्हें यहां से हटाना नहीं चाहती थी क्यूंकि इससे मंदिरों को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता था।


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महात्मा गांधी का जीवन परिचय

महात्मा गांधी जी का जीवन बहुत ही सीधा और सरल था। उन्हे अहिंसा में विश्वास था उनका मानना था की अगर कोई गाल पर एक चांटा लगा दे तो उसके आगे दूसरा गाल भी कर दो जिससे मरने वाला शर्म के मारे मर जाए और आपसे माफी मांगे। अहिंसा परमों धर्मा गांधी जी का मानना था की अगर किसी समस्या का हल निकालना है तो उसे ठन्डे दिमाग से बिना क्रोध किए निकालने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप अपने गुस्से से किसी समस्या का हल निकलेंगे तो आप ओर भी ज्यादा उस समस्या में फंसते चले जाएंगे।

गांधी जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई बिना किसी अस्त्र शस्त्र के जीत के दिखाई थी। अपनी बेइज्जती होने के बाद भी गुस्से में गलत कदम नहीं उठाया था उन्होने अपने शिष्यों को भी ऐसी ही सलाह दी थी की जिससे उनका जीवन सफल हो जाए। दोस्तों, गांधी जी के जीतने भी आंदोलन थे सब के सब बिना किसी हिंसा, बिना किसी शोर शराबे के चलाये गए थे।


महात्मा गांधी के अनमोल विचार

महात्मा गांधी का नारा था


“कारों या मारो”


“अहिंसा परमो धर्म”


“आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, यतनापूर्ण बहिष्कार, यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”


“बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो”


“सादा जीवन उच्च विचार”


बनना है तो गांधी जी के जैसा बनने की कोशिश करो बिना लड़ाई झगड़े के अपने जीवन को बदल के रख दो.


Speech on Mahatma Gandhi in Hindi (महात्मा गांधी पर भाषण)

2 October Speech in Hindi: महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर सन् 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी का
पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी राजकोट के दीवान हुआ करते थे। महात्मा गांधी जी की माता श्रीमती पुतलीबाई एक साधारण से जीवन को जीने वाली भारतीय नारी थी। महात्मा गांधी जी की माता बड़े ही सीधे स्वभाव की शांत रहने वाली महिला थी जिनकी वजह से महात्मा गांधी जी का स्वभाव भी ठीक उनकी ही तरह रहा। महात्मा गांधी जी के माता पिता बहुत साधारण व्यक्तित्व के लोग थे उनका जीवन साधारण लोगों की ही तरह था।

महात्मा गांधी जी की शुरुआती शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण हुई थी जिसके बाद महात्मा गांधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। जब महात्मा गांधी जी की वकालत की पढ़ाई पूरी हो गयी तो उन्होने भारत वापस आ कर अपनी वकालत शुरू की।

महात्मा गांधी जी को एक मुकदमे के चलते भारत छोड़ कर कुछ दिनों के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा और वहां उन्होंने भारतीय लोगों की दूरदसा देखी जिस पर उन्हे ये एहसास हुआ की ये बहुत ही गलत हो रहा है। हम भारतीय लोगों के साथ इसे बदला जाना चाहिए नहीं तो हमारे आने वाले वंश इसी तरह रंग भेद और छुआछूत की बीमारी से ग्रसित रहेंगे।

गांधी जी ने बड़े बड़े आंदोलन चलाए और जीते भी, इन आन्दोलन को जीतने की सबसे बड़ी वजह मानव कल्याण के हित में था। गांधी जी ने सब आंदोलन जीते बिना किसी हथियार के इस्तेमाल से और ना बिना किसी दुर्व्यवहार के ये युद्ध जीता। दोस्तों कहने वाली नहीं मानने वाली बात है की महात्मा गांधी जी ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने सादे व्यवहार के साथ ब्रिटिशों को भगाया था और भारत में आजादी का तिरंगा फहराया था।

भारत की आजादी के लिए बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने लोहे के चने चबाये थे। कहा जाए तो आज हिंदुस्तान आजाद हुआ है तो केवल हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के चलते। देश की आजादी के लिए कभी अंग्रेजों की मार खानी पड़ी तो कभी उनकी divide and rule की वजह से अपने हिन्दू मुस्लिम भाइयों में लड़ाई दंगे होते देखे। गांधी जी को केवल अपने स्वतंत्र भारत की ही सूची है हमेशा।

गांधी जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई में लगा दिया। किसी वजह से इनको भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया हैं।


10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi

आप सभी की जरूरतों को समझते हुए महात्मा गांधी जी के जीवन परिचय में कम शब्दों में जानकारी दी गयी है।

गांधी जी सदा जीवन जीने में बहुत विश्वास करते थे। गांधी जी के जीवन में बहुत से संघर्षों से उनका सामना हुआ लेकिन वो बिना रुके आगे बढ़ते गए और आज उनको राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है।

गांधी जी अपना सारा जीवन लोगों की भलाई में लगा देना तो कोई बाबूजी से सीखें और उनके जीवन की तरह अपना जीवन जरूरत मंदों के नाम करें।

  1. हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी हैं।
  2. महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था।
  3. महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
  4. महात्मा गांधी जी के माता पिता का नाम पुतलीबाई और करम चन्द्र गांधी था।
  5. महात्मा गांधी जी को बापू और राष्ट्र पिता के नाम से जाना जाता है।
  6. महात्मा गांधी जी को सदा जीवन उच्च विचार पसंद था।
  7. महात्मा गांधी जी ने अन्य सभी क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर हमारे देश को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिलाया था।
  8. महात्मा गांधी जी ने भारतीय लोगों को सादा जीवन और स्वदेशी अपनाने का विचार दिया था।
  9. महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक आंदोलन,और दांडी मार्च जैसे कई महान कार्य किए।
  10. महात्मा गांधी जी की हत्या 30 जनवरी, 1948 मे नाथूराम गोडसे द्वारा कर दी गयी थी।

महात्मा गांधी जी की मृत्यु के बाद उनकी याद में और राष्ट्रपिता होने की वजह से उनका चित्र भारत की मुद्रा में देखने को मिलता है।


10 Lines on Mahatma Gandhi in English for Class 1 to 12

Mahatma gandhi essay in english in 500 words: Realizing the needs of all of you, the life introduction of Mahatma Gandhi has given less information.

Gandhi always believed in living life. He faced many struggles in the life of Gandhi Ji, but he kept moving without stopping and today he has been given the status of Father of the Nation.

If you spend your whole life in the well-being of the people, then one should learn from Bapuji and like his life, make his life in the name of the needy.

  1. Our Father of the Nation is Mahatma Gandhi.
  2. Mahatma Gandhi was born on 02 October 1869 in a city called Porbandar in Gujarat.
  3. Mahatma Gandhi’s full name is Mohandas Karamchand Gandhi.
  4. Mahatma Gandhi’s parent’s names were Putlibai and Karam Chandra Gandhi.
  5. Mahatma Gandhi is known as Bapu and Father of the Nation. Mahatma Gandhi always loved high thoughts.
  6. Mahatma Gandhi along with all other revolutionary freedom fighters got rid of our country from British rule.
  7. Mahatma Gandhi had given the idea to the Indian people to adopt a simple life and Swadeshi.
  8. Mahatma Gandhi Ji did many great works like the Non-Cooperation Movement, Civil Disobedience Movement, Salt Movement, and Dandi March.
  9. Mahatma Gandhi was assassinated on 30 January 1948 by Nathuram Godse.

After the death of Mahatma Gandhi, in the memory of him and being the father of the nation, his picture is seen in the currency of India.


Mahatma Gandhi Poem in Hindi for Students

ऊपर मैंने आपको महात्मा गांधी का जीवन परिचय बताया हैं, अब मैं आपके साथ महात्मा गांधी पर कविताएं अपडेट करूँगा जो किसी ने ना सुनी हो वो में आपको देने वाला हूँ। कृपया करके इसे पढ़े और अपने मित्रों आदि में शेयर करना ना भूले।

Poem on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी जी की वो कविता जिसे दुनिया सबसे ज्यादा प्रिय समझती है।

महात्मा गांधी पर कविता हिंदी में
2 अक्टूबर खास बहुत है इसमें है इतिहास छिपा,
इस दिन गांधी जी जन्मे थे दिया उन्होंने ज्ञान नया,
सत्य अहिंसा को अपनाओ इनसे होती सदा भलाई,
इनके दम पर गांधी जी ने अंग्रेजों की फौज भगाई,
इस दिन लाल बहादुर जी भी इस दुनिया में आये थे,
ईमानदार और सबके प्यारे कहलाये थे,
नहीं भुला सकते इस दिन को ये दिन तो है बहुत महान,
इसमें भारत का गौरव है इसमें तिरंगे की शान हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर हिन्दी कविता
राष्ट्रपिता तुम कहलाते हो सभी प्यार से कहते बापू,
तुमने हमको सही मार्ग दिखाया सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
हम सब तेरी संतान है तुम हो हमारे प्यारे बापू।
सीधा सादा वेश तुम्हारा नहीं कोई अभिमान,
खादी की एक धोती पहने वाह रे बापू तेरी शान।
एक लाठी के दम पर तुमने अंग्रेजों की जड़ें हिलायी,
भारत माँ को आजाद कराया राखी देश की शान।

महात्मा गांधी जयंती पर कविता
आँखों पर चश्मा हाथ में लाठी और चेहरे पर मुस्कान,
दिल में था उनके हिंदुस्तान,
अहिंसा उनका हथियार था,
अंग्रेजों पर भारी जिसका वार था,
जात-पात को भुला कर वो जीना सिखाते थे,
सादा हो जीवन और अच्छे हो विचार,
बड़ो को दो सम्मान और छोटो को प्यार,
बापू यही सबको बताते थे,
लोगों के मन से अंधकार मिटाते थे,
स्वच्छता पर वे देते थे जोर,
माँ भारतीय से जुड़ी थी उनकी दिल को डोर,
ऐसी शख्सियत को हम कभी भूला ना पाएंगें,
उनके विचारों को हम सदा अपनायेंगे।
सादा जीवन उच्च विचार, अहिंसा परमों...

Gandhi Jayanti Poem in Hindi
माँ खादी की चादर दे दो मैं गांधी बन जाऊँगा,
सभी मित्रों के बीच बैठकर रघुपति राघव गाऊंगा,
निक्कर नहीं धोती पहनूँगा खादी की चादर ओढुंगा,
घड़ी कमर में लटकाऊँगा सैर-सवेरे कर आऊँगा,
कभी किसी से नहीं लडूंगा और किसी से नहीं डरूंगा,
झूठ कभी भी नहीं कहूँगा सदा सत्य की जय बोलूँगा,
आज्ञा तेरी मैं मानूंगा सेवा का प्रण मैं ठानूंगा,
मुझे रूई की बुनी दे दो चरखा खूब चलाऊंगा,
गाँव में जाकर वहीँ रहूँगा काम देश का सदा करूँगा,
सब से हँस-हँस बात करूँगा क्रोध किसी पर नहीं करूँगा,
माँ खादी की चादर दे दो मैं गांधी बन जाऊंगा।

मैं उम्मीद करूंगा की आपको ये लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो देरी ना कीजिए, इस लेख को इतना शेयर कर दीजिये की दुनिया 02 अक्टूबर गांधी जी के जन्मदिन कविताएं को पढ़ कर रो पड़े।

– धन्यवाद

महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) का यह लेख यही समाप्त होता है। मुझे उम्मीद है की आपको सभी जानकारी मिली होगी। अगर आपको लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें और कमेंट के माध्यम से अपने विचार हमारे साथ व्यक्त करें।

– Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

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